Chhatisgarh ke Paramparik Abhushan (छत्तीसगढ़ के पारंपरिक आभूषण) – भारत के सभी राज्यों में आभूषण पहने जाते हैं ये आभूषण महिलाओं की सुंदरता में चार चांद लगाने के साथ-साथ उस राज्य के संस्कृति को भी बनाये रखते हैं । जिससे उस राज्य के संस्कृति को पहचान मिलती है।
ये आभूषण विशेष त्यौहार, धार्मिक कार्यक्रम तथा अनेक पारंपरिक अवसरों पर धारण किये जाते हैं छत्तीसगढ़ में अनेक प्रकार के आभूषण यहां के आदिवासी समुदाय (जनजाति) के द्वारा सजने संवरने तथा विवाह के अवसर पर दुल्हन को सजाने में उपयोग किया जाता है ।
आज हम छत्तीसगढ़ में पहने जाने वाले सभी आभूषणों के बारे में विस्तृत रूप से जानेंगे कि कौन से आभूषण शरीर के किस हिस्से में पहने जाते हैं तथा उस आभूषण को और किस नाम से जाना जाता है।
छत्तीसगढ़ के पारंपरिक आभूषण

Chhatisgarh ke Paramparik Abhushan
- बिछिया –इस आभूषण को उपयोग महिलायें अपने पैरों की सुंदरता बढ़ाने के लिये पैरों की उंगलियों में पहनते हैं ।
- सांटी –सांटी ऐड़ी में पहना जाने वाला आभूषण है इसे महिलाएं ही आने ऐड़ी में पहनते हैं यह गोलाकार रिंक की आकृति में होती है ।
- करधनी / करबंध – यह आभूषण कमर में पहना जाता है इसे कमरबंध/करधनी/करधन अपने अंचल के बोली भाषा के अनुसार कहा जाता है ।
- चुटकी– यह आभूषण भी पैरों क उंगलियो में पहना जाने वाला आभूषण या गहना होता है ।
- पैरी –पैरी को लच्छा के नाम से भी जानते हैं तथा आजकल इसे पायल के नाम से ज्यादा जाना जाता है इसे भी ऐड़ी में ही पहना जाता है ।
- मुदरी– इसे देवराही, भराही, छपाही इत्यादि नामों से भी जाना जाता है, इसे महिलायें अपने हाथों में पहनते हैं ।
- ककनी – ये आभूषण कलाई में पहना जाता है, इसको बनुरिया के नाम से भी जानते हैं ।
- कौड़ी फूल –कौड़ी फूल को महिलायें अपने कमर में पहनते हैं । यह करधन के समान ही होता है।
- सकरी– इस आभूषण को कमर में ही पहना जाता है ।
- सुता– यह जितने भी गहने हैं उनमे से सबसे वजनदार गहना है इसे गले में पहना जाता है । सुता चांदी के धातु से बना होता है । सोने के भी सुता बनवाये जाते हैं ।
- सुर्रा – इस आभूषण को भी गले में ही पहना जाता है ।
- गोदना – यह गहना तो नहीं है किंतु गहने से कम नहीं है। इसे त्वचा में गुदवाया जाता है जिससे महिलाओं की सुंदरता बढ़ती है ।
- झुमका– इस आभूषण को कान में पहना जाता है चांदी व सोना दोनो के हो सकते हैं । इसे महिलाएं पहनती हैं ।
- फुली – ये महिलाओं की सबसे महत्वपूर्ण आभूषण है, भले बाकि गहने न पहने जायें परंतु फुली हर महिला के नाक में दिख जाती है। इसे खेनवा, नखबेसर, नथ इत्यादि नामों से भी जाना जाता है ।
- कौडि़यो– इस आभूषण को बालो में लगाया जाता है।
- पटिया– यह एक प्रकार का पट्टीनुमा आकृति वाली आभूषण है जिसे सिर में पहना जाता है ये अधिकतर विवाह के अवसर पर पहना जाता है । ये भी सोने व चांदी दोनो से बनाये जा सकते हैं ।
- माघ मोती– इस आभूषण को महिलायें अपने मांघ में पहनती हैं जिसे कई लोग बिंदिया भी कहते हैं । ये भी सोने व चांदी तथा हीरे जडि़त भी होते हैं ।
- सिंगी– इसे सिर में आगे की ओर पहना जाता है नाम से विदित हो रहा है कि सिंगनुमा आकार की आभूषण है ।
- पंख– इसको सिर में सामने या बगल में या फिर पीछे की तरफ भी पहना जा सकता है ।
- बेनी फूल –इस प्रकार के आभूषणों को बालों के अंतिम छोर में फूल के जैसे आकृति वाले आभूषण को पहना जाता है ।
- टिकली – इस आभूषण को माथे में लगाया जाता है प्राय: ये टिकली नामक आभूषण हर महिला के माथे में दिख जाती है ।
- ढार – इसे खिनवा या कर्ण फूल आदि नामों से भी जाना जाता है । इसे कान में लटका कर पहना जाता है ।
- तरकी – इस आभूषण को भी कान में ही पहना जाता है, इसे लुरकी, खूंटी, तितरी के नाम से भी जाना जाता है ।
- लबांग फूल– लबांग फूल या बुलाक को नाक में पहनते हैं ।
- ताबिज– इसको ढोलकी के नाम से भी जानते हैं । इसे गले में रस्सी या सोने चांदी के चेन में लगाकर भी पहना जाता है ।
- बंहूठा– इस आभूषण को महिलाएं अपने बांह में पहनते हैं ।
- नागमोरी– नागमोरी को भी बांह में ही पहनी जाती है । जैसा कि नाम से ही प्रतीत हो रहा है यह नाग के आकार की आभूषण है।
- पटा– इसे कलाई में पहनते हैं । यह किसी पट्टे के समान की आभूषण है।
- ऐंठी – इसे भी महिलायें अपने कलाई में पहनते हैं ये चूडि़यों के गुच्छों के साथ और भी सुंदर लगती हैं ।
- चूड़ी– चूड़ी भी कलाई में ही पहनते हैं ये प्राय: सभी उम्र के स्त्रियों के कलाई में दिखायी देती है ।
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